पीयूष गोयल में हाथ से लिखी दर्पण छवि में १७ पुस्तकें.
के उसे चांद उगाने की ख़्वाहिश थी जमीं पर,
मिलने के समय अक्सर ये दुविधा होती है
स्वयं पर नियंत्रण कर विजय प्राप्त करने वाला व्यक्ति उस व्यक्
छोड़ दिया है मैंने अब, फिक्र औरों की करना
एक नम्बर सबके फोन में ऐसा होता है
छल फरेब की बात, कभी भूले मत करना।
सत्य
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*ठगने वाले रोजाना ही, कुछ तरकीब चलाते हैं (हिंदी गजल)*
रमेशराज के 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में 7 बालगीत
सन्यासी का सच तप
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मेरे जज़्बात कुछ अलग हैं,
दर परत दर रिश्तों में घुलती कड़वाहट
उलझी हुई जुल्फों में ही कितने उलझ गए।