Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Feb 2024 · 1 min read

दो साँसों के तीर पर,

दो साँसों के तीर पर,
टिका हुआ संसार ।
एक तीर पर जिंदगी,
एक तीर भव पार ।।

सुशील सरना / 9-2-24

133 Views

You may also like these posts

खुद को खोल कर रखने की आदत है ।
खुद को खोल कर रखने की आदत है ।
Ashwini sharma
तारिणी वर्णिक छंद का विधान
तारिणी वर्णिक छंद का विधान
Subhash Singhai
🚩🚩
🚩🚩 "पं बृजेश कुमार नायक" का परिचय
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
जाने किस मोड़ पे आकर मै रुक जाती हूं।
जाने किस मोड़ पे आकर मै रुक जाती हूं।
Phool gufran
ख्यालों में यूं ही खो जाते हैं
ख्यालों में यूं ही खो जाते हैं
Shashi kala vyas
'ना कहने का मौसम आ रहा है'
'ना कहने का मौसम आ रहा है'
सुरेखा कादियान 'सृजना'
सुबह-सुबह की बात है
सुबह-सुबह की बात है
Neeraj Agarwal
3739.💐 *पूर्णिका* 💐
3739.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
कलम और तलवार
कलम और तलवार
Kanchan verma
एक डरा हुआ शिक्षक एक रीढ़विहीन विद्यार्थी तैयार करता है, जो
एक डरा हुआ शिक्षक एक रीढ़विहीन विद्यार्थी तैयार करता है, जो
Ranjeet kumar patre
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
"क्या मैं वही नही हूं"
डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद"
#चाहत छमछम छमछम बरसूं
#चाहत छमछम छमछम बरसूं
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
आँधियों से क्या गिला .....
आँधियों से क्या गिला .....
sushil sarna
महफ़िल जो आए
महफ़िल जो आए
हिमांशु Kulshrestha
एकतरफ़ा इश्क
एकतरफ़ा इश्क
Dipak Kumar "Girja"
*आधुनिकता के नाम पर अपनेआप को दुनिया के समक्ष नंगा दिखाना भा
*आधुनिकता के नाम पर अपनेआप को दुनिया के समक्ष नंगा दिखाना भा
Seema Verma
बारिश ने क्या धूम मचाया !
बारिश ने क्या धूम मचाया !
ज्योति
..........?
..........?
शेखर सिंह
यूं तुम से कुछ कहना चाहता है कोई,
यूं तुम से कुछ कहना चाहता है कोई,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आइये हम ये विचार करें
आइये हम ये विचार करें
Dr.Pratibha Prakash
"आईना"
Dr. Kishan tandon kranti
विचार, संस्कार और रस [ तीन ]
विचार, संस्कार और रस [ तीन ]
कवि रमेशराज
जनता मुफ्त बदनाम
जनता मुफ्त बदनाम
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
#आज_का_शेर-
#आज_का_शेर-
*प्रणय*
"फल की आस मत रखें"
Ajit Kumar "Karn"
मन की चुप्पी
मन की चुप्पी
Shashi Mahajan
- स्त्री प्रकृति -
- स्त्री प्रकृति -
bharat gehlot
"मैं पंछी हूँ मेरे पंख रहने दीजिये ll
पूर्वार्थ
अन-मने सूखे झाड़ से दिन.
अन-मने सूखे झाड़ से दिन.
sushil yadav
Loading...