दो शे’र
डाँट को दोस्त की नसीहत समझ लिया जाता है ।
साथ को उसके हिफ़ाज़त समझ लिया जाता है ।।
क़ुबूल हो जाती हैं ……. इक पल में दुआएं सारी ।
दोस्ती को जब ….इबादत समझ लिया जाता है ।।
©डॉक्टर वासिफ़ काज़ी , इंदौर
©काज़ीकीक़लम
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