दो शेर
दो शेर
(1)
अजानें कितनी अच्छी हैं जो मुझसे रोज कहती हैं
सुबह को सोने से बेहतर है मालिक की इबादत हो
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(2)
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किताबों की नहीं कहता ,इसे खुद मैंने देखा है
कोई चेहरा नहीं उसका ,जो मेरे पास आता है
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451