दो शे’र
फूलों का… खुशबू से वास्ता होता है ।
जिस तरह मिरा तुझसे राब्ता होता है ।।
जो सहर… तिरा दीदार न हो मुझको ।
ग़म और तन्हाई से मिरा नाश्ता होता है ।।
© डॉ वासिफ क़ाज़ी, इंदौर
© काज़ी की कलम
फूलों का… खुशबू से वास्ता होता है ।
जिस तरह मिरा तुझसे राब्ता होता है ।।
जो सहर… तिरा दीदार न हो मुझको ।
ग़म और तन्हाई से मिरा नाश्ता होता है ।।
© डॉ वासिफ क़ाज़ी, इंदौर
© काज़ी की कलम