दो शे’र
हर सम्त…….. गुबार बेवफ़ाई का ।
वफ़ा का सांस लेना दूभर अब तो ।।
कैसे पहुचेंगी………. चिठ्ठियाँ मेरी ।
रास्ता भटक जायेगा कबूतर अब तो ।।
©डॉक्टर वासिफ़ काज़ी , इंदौर
©काज़ीकीक़लम
हर सम्त…….. गुबार बेवफ़ाई का ।
वफ़ा का सांस लेना दूभर अब तो ।।
कैसे पहुचेंगी………. चिठ्ठियाँ मेरी ।
रास्ता भटक जायेगा कबूतर अब तो ।।
©डॉक्टर वासिफ़ काज़ी , इंदौर
©काज़ीकीक़लम