दो मुक्तक
जाग जाओ अब जाग भी जाओ,
दूर करो सब अंधयारी l
भारतमाता बिलख रही अब,
बन जाओ तुम चिंगारी ll
पुरखो की तुम न कटबाओ
मत लजबाओ महतारी l
जाग जाओ अब जाग भी जाओ,
डूब गई क्या उजयारी ll
✍कृष्णकांत गुर्जर
जाग जाओ अब जाग भी जाओ,
दूर करो सब अंधयारी l
भारतमाता बिलख रही अब,
बन जाओ तुम चिंगारी ll
पुरखो की तुम न कटबाओ
मत लजबाओ महतारी l
जाग जाओ अब जाग भी जाओ,
डूब गई क्या उजयारी ll
✍कृष्णकांत गुर्जर