#दो मुक्तक एक भजन
#मुक्तक
हृदय पिटारी प्रेम भरी हो। नीयत सीरत खरी-खरी हो।।
जीवन होगा तब अतिसुंदर। बातें होंगी सबसे मनहर।।
सभी जीव हैं प्रभु की रचना। भेदभाव से प्रतिपल बचना।।
आन सभी का मान करेंगें। नीति रीति से ध्यान धरेंगें।।
#मनोकामना(भजन)
मनोकामना पूरी करना,
दुवा करूँ मैं दिन-रात।
प्रभु अविनाशी मंगलदायक,
सुनना मेरे जज्बात।।
सत्य यत्न का फल देना तुम,
देना मीठे अहसास।
रहे हमेशा तुमपर सबका,
अटल अडिग हो विश्वास।
जैसी करनी वैसी भरनी,
सही यही है सौग़ात।
भूखा रहे न कोई जग में,
बुझे सभी जन की प्यास।
हँसते-हँसते जीवन बीते,
कोई भी हो न उदास।
कृपा करो तुम ध्यान धरो तुम,
हँसे सभी ज्यों जलजात।
#मुक्तक
प्रेम-अखण्ड ज्योति जलाओ, नया उजाला पाओगे।
भक्ति-भाव की महिमा बड़ी, शाँत काँत हो जाओगे।।
नेक लग्न में मग्न होकर, हम मंज़िल को पाते हैं।
हँसकर संकट घोर यारों, चुटकी में कट जाते हैं।।
#आर.एस. ‘प्रीतम’
#स्वरचित रचना