दो पँक्ति दिल की ◆इश्क़ ग़ुज़ारिश करते रहे चलते रहे हैं राही बनकर ◆ऐ ख़ुदा देना जवाब हर इक साँ का गवाही बनकर ©® प्रेमयाद कुमार नवीन