दो नैन कजरारे
******* दो नैन कजरारे ******
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ताकतें रहते तेरे दो नैन कजरारे
जाने कब वो आएंगे प्रियतम हमारे
दिन बीते,मास बीते,बीत गए वर्ष रे
आँखें तरस गई आ भी जाओ प्यारे
नजर का दोष है या दिल का कसूर
हो गया है प्यार,दिल हवाले तुम्हारे
दर्द भरे लम्हें हैं पिया की जुदाई के
कब तक राह देखूँ तेरी बाहें पसारे
मिलता प्यार यहाँ नसीब वालों को
जहाँ हो तुम चले आओ मेरे सहारे
जालिम है दुनिया तेरे मेरे प्यार की
दिल में समाये हो अखियों के तारे
देखो कहीं कारवां प्यार का छूटे ना
देखो कहीं मर जाऊँ बिन मैं तुम्हारे
मनसीरत राहों में तेरे नैन बिछाये
बाहों मे समा जाओ भाग होंगे न्यारे
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)