दो नैनो से तीर/मंदीप
दो नैनो से तीर/मंदीप
दो नैनो से दिल पर तीर ना चलाया करो,
होती दिल में हलचल गुर कर ना लखाया करो।
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सर्म है आती हम को भी,
यूँ बीच बाजार नजर ना लड़ाया करो।
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आती नही समज हम को इन आँखो की,
कुछ बोल कर हम को समझाया करो।
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करती कत्ल तम्हारी नजर आये दिन मरे दिल का,
इन पर जुल्फों का साया ना गिराया करो।
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है कितनी गहरी खूबसूरत ये दो आँखे,
नजर काला टिका लगा कर निकला करों।
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है मेरी नजरो ने तुम्हारी नजरो से प्यार,
यूँ सब के बीच हम को ना रुलाया करो।
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अगर हो जाये “मंदीप” से गलती कभी,
झुकी हुई उसकी नजरो को समज जाया करो।
मंदीपसाई