Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Nov 2021 · 1 min read

दो दोहे

व्यवहार एक चाहिए,
सहज समंवय होय,
जो पल्ले कुछ भी नहीं,
तो भी परिचय होय.
.
मंहगाई डायन मारती,
अभाव में देती झोंक,
चक्रवृद्धि कर ज्यों बढ़े,
रोक सके तो ले रोक.

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 434 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mahender Singh
View all

You may also like these posts

उस रात रंगीन सितारों ने घेर लिया था मुझे,
उस रात रंगीन सितारों ने घेर लिया था मुझे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ढूंढे तुझे मेरा मन
ढूंढे तुझे मेरा मन
Dr.sima
कलेक्टर से भेंट
कलेक्टर से भेंट
Dr. Pradeep Kumar Sharma
आदत अच्छी नहीं है किसी को तड़पाने की
आदत अच्छी नहीं है किसी को तड़पाने की
Jyoti Roshni
■ व्हीआईपी कल्चर तो प्रधान सेवक जी ने ख़त्म करा दिया था ना...
■ व्हीआईपी कल्चर तो प्रधान सेवक जी ने ख़त्म करा दिया था ना...
*प्रणय*
if you have not anyperson time
if you have not anyperson time
Rj Anand Prajapati
3798.💐 *पूर्णिका* 💐
3798.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
नवरात्रि
नवरात्रि
surenderpal vaidya
मेरे जाने की फ़िक्र
मेरे जाने की फ़िक्र
Sudhir srivastava
कल रात सपने में प्रभु मेरे आए।
कल रात सपने में प्रभु मेरे आए।
Kumar Kalhans
जब काम किसी का बिगड़ता है
जब काम किसी का बिगड़ता है
Ajit Kumar "Karn"
आया दिन मतदान का, छोड़ो सारे काम
आया दिन मतदान का, छोड़ो सारे काम
Dr Archana Gupta
हंसगति
हंसगति
डॉ.सीमा अग्रवाल
"दबंग झूठ"
Dr. Kishan tandon kranti
मां! बस थ्हारौ आसरौ हैं
मां! बस थ्हारौ आसरौ हैं
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
Công ty Đồng Phục Asian tự hào là đơn vị chuyên cung cấp đồn
Công ty Đồng Phục Asian tự hào là đơn vị chuyên cung cấp đồn
dongphucasian111
दूरियां भी कभी कभी
दूरियां भी कभी कभी
Chitra Bisht
मुहब्बत है ज़ियादा पर अना भी यार थोड़ी है
मुहब्बत है ज़ियादा पर अना भी यार थोड़ी है
Anis Shah
*चाँद को भी क़बूल है*
*चाँद को भी क़बूल है*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
अमन राष्ट्र
अमन राष्ट्र
राजेश बन्छोर
यह शहर पत्थर दिलों का
यह शहर पत्थर दिलों का
VINOD CHAUHAN
ओढ दुशाला श्याम का, मीरा आर्त पुकार
ओढ दुशाला श्याम का, मीरा आर्त पुकार
RAMESH SHARMA
आज के युग में
आज के युग में "प्रेम" और "प्यार" के बीच सूक्ष्म लेकिन गहरा अ
पूर्वार्थ
फल की इच्छा रखने फूल नहीं तोड़ा करते.
फल की इच्छा रखने फूल नहीं तोड़ा करते.
Piyush Goel
દુશ્મનો
દુશ્મનો
Otteri Selvakumar
क्या कहूं?
क्या कहूं?
शिवम राव मणि
रामराज्य की काव्यात्मक समीक्षा
रामराज्य की काव्यात्मक समीक्षा
sushil sharma
*** पल्लवी : मेरे सपने....!!! ***
*** पल्लवी : मेरे सपने....!!! ***
VEDANTA PATEL
ऑंसू छुपा के पर्स में, भरती हैं पत्नियॉं
ऑंसू छुपा के पर्स में, भरती हैं पत्नियॉं
Ravi Prakash
मिला है जब से साथ तुम्हारा
मिला है जब से साथ तुम्हारा
Ram Krishan Rastogi
Loading...