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8 Jan 2022 · 1 min read

दो दोहे दो दृष्टिकोण

आशा
बदल बदल कर करवटें, ले सपनों की आस।
आ रहा सूरज कोई, भरने को उच्छवास।।

*निराशा
बदल-बदल कर करवटें, करती नींद कमाल।
सपनों की इस सेज पर, कुछ दिन और धमाल।।

सूर्यकांत द्विवेदी
मेरठ

Language: Hindi
262 Views
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