दो दोहे दो दृष्टिकोण
आशा
बदल बदल कर करवटें, ले सपनों की आस।
आ रहा सूरज कोई, भरने को उच्छवास।।
*निराशा
बदल-बदल कर करवटें, करती नींद कमाल।
सपनों की इस सेज पर, कुछ दिन और धमाल।।
सूर्यकांत द्विवेदी
मेरठ
आशा
बदल बदल कर करवटें, ले सपनों की आस।
आ रहा सूरज कोई, भरने को उच्छवास।।
*निराशा
बदल-बदल कर करवटें, करती नींद कमाल।
सपनों की इस सेज पर, कुछ दिन और धमाल।।
सूर्यकांत द्विवेदी
मेरठ