Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Dec 2017 · 2 min read

दो दोस्त- एक शिक्षाप्रद कहानी

दो पक्के दोस्त कहीं जा रहे होते हैं..सब कुछ अच्छे से चल रहा होता है..रास्ते में एक बाधा आती है नदी के रूप में..दोनों में से एक को तैरना नहीं आता था..दूसरे को थोड़ा बहुत तैरना आता था..तैराकी जानने वाले दोस्त ने दूसरे दोस्त को अपने विश्वास में लिया और चल पड़ा दोस्त का हाथ पकड़कर नदी की ओर…बीच रास्ते में एक भँवर आया और तैराक दोस्त घबरा गया और अपने डूबते दोस्त को वहीं छोड़कर भाग खड़ा हुआ…डूबता दोस्त “बचाओ बचाओ” चिल्लाता रहा..आखिरकार डूबने से तो बच गया..किसी ने डूबने से बचा लिया था..शरीर के जख्म तो कुछ दिन में ठीक हो गये..मन के घाव कभी ठीक नहीं हो पाये क्योंकि जिस दोस्त पर वो इतना विश्वास करता था वो बीच भँवर में छोड़कर भाग गया था..उसने तो अपने दोस्त की गल्ती को माफ़ कर दिया था लेकिन उसके दोस्त ने उससे अपने स्वभाव के लिये माफ़ी कभी नहीं माँगी..इसके विपरीत ज़िंदगी भर उसे ही दोषी ठहराता रहा कि “तुम्हें ही ठीक से तैरना नहीं आता था”. दूसरा दोस्त उसे हमेशा उसकी गलतियों के लिये माफ़ करता रहा और अपने निस्वार्थ प्रेम की दुहाई देता रहा..लेकिन जहाँ गहरा विश्वास नहीं होता वहां इन बेकार शब्दों के कोई मायने नहीं होते..जहाँ मतलब होता है वहाँ दोस्ती कैसे हो सकती है़.
आखिरकार दोस्त ने आहत होकर अपने दोस्त से दूर जाने में ही भलाई समझी..यही सोचते हुए कि “सच्चा रिश्ता हमेशा दिलों में ज़िन्दा रहता है..दिल में सम्मान होना चाहिए..कभी तो समझ आयेगी..मेरे कर्म मेरे सामने, उसके कर्म उसके सामने”..हमेशा हमेशा के लिये अपने दोस्त से दूरी बना ली..तैराक दोस्त ने अपने स्वार्थ और संकीर्ण सोच के चलते अपनी एक सच्ची दोस्ती का गला हमेशा के लिये घोंट दिया था.

Moral of this story :- कभी किसी की भावनाओं के साथ नहीं खेलना चाहिए..शरीर की अपेक्षा मन के घाव बहुत गहरे होते हैं..अक्सर हम अपने सच्चे रिश्ते स्वार्थवश ऐसे ही खो देते हैं. गलती होने पर जो इंसान उसे सुधारने का कोई प्रयास नहीं करता..अपनी गलतियों के लिये कभी माफ़ी नहीं मांगता..किसी की अच्छाई को हमेशा बेवकूफ़ी समझता रहे ऐसा इंसान कभी किसी की सच्ची दोस्ती के लायक तो क्या वो कभी अपना भी सच्चा दोस्त नहीं बन सकता..कितना भी खुश रहने का दिखावा क्यों न करे..कभी खुश नहीं रह सकता..क्योंकि अंधेरा अंधेरा ही होता है..अंधेरा कभी उजाले में रह सकता है क्या ?
??

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 1202 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पतंग
पतंग
Dr. Pradeep Kumar Sharma
असफलता अनाथ होता है।
असफलता अनाथ होता है।
Dr.Deepak Kumar
बाकी रह जाए याद में बाकी,
बाकी रह जाए याद में बाकी,
Dr fauzia Naseem shad
हर मुश्किल का
हर मुश्किल का
surenderpal vaidya
क्रिसमस दिन भावे 🥀🙏
क्रिसमस दिन भावे 🥀🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
"शरीफ कम, समझदार ज्यादा हो गए हैं लोग ll
पूर्वार्थ
अपनी भूल स्वीकार करें वो
अपनी भूल स्वीकार करें वो
gurudeenverma198
चंद अशआर
चंद अशआर
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
3607.💐 *पूर्णिका* 💐
3607.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
तुझ से ऐ जालिम
तुझ से ऐ जालिम
Chitra Bisht
*** हमसफ़र....!!! ***
*** हमसफ़र....!!! ***
VEDANTA PATEL
मित्र
मित्र
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
कैसी दास्तां है
कैसी दास्तां है
Rajeev Dutta
मनुष्य और प्रकृति
मनुष्य और प्रकृति
Sanjay ' शून्य'
साइड इफेक्ट्स
साइड इफेक्ट्स
Dr MusafiR BaithA
बदलते मूल्य
बदलते मूल्य
Shashi Mahajan
सच तो तस्वीर,
सच तो तस्वीर,
Neeraj Agarwal
विदेश मे पैसा कमा कर पंजाब और केरल पहले नंबर पर विराजमान हैं
विदेश मे पैसा कमा कर पंजाब और केरल पहले नंबर पर विराजमान हैं
शेखर सिंह
किसी महिला का बार बार आपको देखकर मुस्कुराने के तीन कारण हो स
किसी महिला का बार बार आपको देखकर मुस्कुराने के तीन कारण हो स
Rj Anand Prajapati
श्री राम भक्ति सरिता (दोहावली)
श्री राम भक्ति सरिता (दोहावली)
Vishnu Prasad 'panchotiya'
निर्भया
निर्भया
विशाल शुक्ल
मुझ पे एहसान वो भी कर रहे हैं
मुझ पे एहसान वो भी कर रहे हैं
Shweta Soni
वाचाल सरपत
वाचाल सरपत
आनन्द मिश्र
द्रौपदी ने भी रखा था ‘करवा चौथ’ का व्रत
द्रौपदी ने भी रखा था ‘करवा चौथ’ का व्रत
कवि रमेशराज
खामोश अवशेष ....
खामोश अवशेष ....
sushil sarna
बारह ज्योतिर्लिंग
बारह ज्योतिर्लिंग
सत्य कुमार प्रेमी
रामपुर में दंत चिकित्सा की आधी सदी के पर्याय डॉ. एच. एस. सक्सेना : एक मुलाकात
रामपुर में दंत चिकित्सा की आधी सदी के पर्याय डॉ. एच. एस. सक्सेना : एक मुलाकात
Ravi Prakash
माटी तिहार
माटी तिहार
Dr. Kishan tandon kranti
आज के ज़माने में असली हमदर्द वो, जो A का हाल A के बजाए B और C
आज के ज़माने में असली हमदर्द वो, जो A का हाल A के बजाए B और C
*प्रणय*
सारे निशां मिटा देते हैं।
सारे निशां मिटा देते हैं।
Taj Mohammad
Loading...