दो दिन का बसेरा
****सुन तो ज़रा (ग़ज़ल)***
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दिल की है बात सुन तो ज़रा,
आई बरसात सुन तो ज़रा।
तारो ने भी दुहाई भरी,
कातिल है रात सुन तो ज़रा।
सोचो समझो रखो तुम कदम,
जालिम है साथ सुन तो ज़रा।
हमको कोई समझ ही नहीं,
खाई है मात सुन तो ज़रा।
अपनों ने ही जफ़ा दी सदा,
मारी है लात सुन तो ज़रा।
यारों ने ही सदा दी है वफ़ा,
दी है सौगात सुन तो ज़रा।
मनसीरत यार मिलते नहीं,
सूनी बारात सुन तो ज़रा।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)