दो तांका जापानी कविता- वन
दो तांका जापानी छंद- जंगल
1
वन मिटाते
दौलत की खातिर।
विनाश लाते,
मुफ्त में ऑक्सीजन
फिर कहां से पाते।।
***
2
पेड़ बचाएं
पौधारोपण कर।
ऋण उतारे।
हरियाली को लाये।
बीमारियां भगाये।।
***
कवि- राजीव नामदेव “राना लिधौरी”
संपादक- “आकांक्षा” पत्रिका
जिलाध्यक्ष-म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष-वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
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