दो जिस्म एक जान
कहानी दो जिस्म और
एक जान की है
ये बात मेरे और
उसके इश्क़ की है
तुम नहीं समझोगे
बात जज़्बात की है
उसके और मेरे
साथ होने की है
मेरे दिल की चाहत और
मेरे दिल के हाल की है
उसके दिल में जगह मिल जाए
चाह सिर्फ़ इस बात की है
दिन भी नहीं कटता उसके बिन
ऐसा नहीं है बात सिर्फ़ रात की है
बात उसे पाने की नहीं
बात तो उसके साथ की है
मक़सद उसे पाने का नहीं
बात प्यार के जज़्बात की है
मेरी कोई चिंता नहीं मुझे चिंता तो
दिल के बिगड़े हालात की है
मेरे दिल को दरकार आज भी
उसकी एक हां की है
उसके लिए छोटी होगी ये बात
मेरे लिए तो बात मेरी जान की है
तुम भी करना दुआ मेरे लिये
तुम्हें कसम तेरे इश्क़ की है
हो जाएं अब दो जिस्म एक जान
यही इच्छा इस नादान की है।