*दो चेहरे (कहानी)*
दो चेहरे (कहानी)
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“अरे भाई ! एसी क्यों बंद कर देते हो ? कितनी बार कहा कि जब बिजली आ रही हो तो घर के सारे एसी चला कर रखो। हमें कौन-सा बिजली का बिल देना होता है ? जो मिनिमम आता है ,बस वही तो देते हैं !”
” गलती हो गई पिताजी ! “-बहू ने जब यह देखा कि उसके ससुर श्रीमान बबलू भाई नाराज हो रहे हैं तो सिर झुका कर एक तरह से उसने माफी मांग ली । अपने मायके से तो बहू यही सीख कर आई थी कि बिजली की बर्बादी नहीं होनी चाहिए लेकिन यहां ससुराल में तो नियम कायदे कानून सब उल्टे चल रहे हैं। मैके में पंखा अगर पाँच मिनट को भी व्यर्थ में चलता हुआ दिख जाए तो बहू के पिताजी डांट देते थे -“बेटी ! बिजली का बिल बहुत तगड़ा आता है । एक यूनिट भी बर्बाद नहीं होनी चाहिए ।”
यहां उल्टा हो रहा है । ससुराल में अगर पंखा तो पंखा अगर एसी को भी पाँच मिनट के लिए बंद कर दो ,तो ससुर जी डांटने फटकारने लगते हैं । केवल बबलू भाई के घर का ही यह हिसाब नहीं है । मोहल्ले में 40-45 मकान हैं। उन सभी में केवल न्यूनतम बिजली का बिल जाता है । जबकि सभी के घर में कम से कम दो एसी तो लगे हुए जरूर हैं। कहीं-कहीं तो पाँच-पाँच एसी भी देखे जा सकते हैं। कारण यही है कि बिजली की चोरी खूब होती है ।जब एसी का बिजली का बिल नहीं जाना है तो फिर एसी लगाने में कोई संकोच क्यों करेगा ? और जब एसी लग गया तो उसको दिन-रात चलाना ही होगा । किसकी हिम्मत है कि मोहल्ले में आकर बिजली की चेकिंग कर ले ?
प्रायः बिजली विभाग के लोग चेकिंग से कतराते हैं । एक बार रामभरोसे के घर पर बिजली वाले चेकिंग के लिए आ गए। घर में तीन एसी थे। तीनों नंबर दो में चल रहे थे। लेकिन रामभरोसे को कोई घबराहट नहीं थी। पूरा मोहल्ला इकट्ठा हो गया और बिजली वालों को अपने कदम पीछे हटाने पड़े ।
बबलू भाई के पास ज्यादा समय नहीं रहता । सामाजिक कार्यों में वह व्यस्त रहते हैं । इन्हीं सामाजिक कार्यों में एक कार्य बिजली विभाग के खिलाफ नारेबाजी करना भी है । आज भी बिजली विभाग के खिलाफ धरना ,प्रदर्शन और नारेबाजी का कार्यक्रम रखा हुआ है । बबलू भाई को वहां जाकर भाषण देना है । इसलिए वह जल्दी में हैं।
बहू से कहते हैं “जल्दी से एक कप चाय और साथ में कुछ मठरी खाने के लिए ले आओ । बिजली विभाग के दफ्तर में जाना है ।”
बहु पूछ बैठी ” वहां क्या काम आपका ?”
बबलू भाई बड़ी बड़ी मूछों के नीचे विराजमान अपने दांतो को अंधकार से प्रकाश में लाए और कहने लगे ” कितना जुल्म कर रखा है ,इन बिजली विभाग वालों ने । दिन में 12 घंटे लाइट देते हैं ,12 घंटे काट लेते हैं । कोई कायदा ,नियम ,कानून नैतिकता इनके लिए कुछ नहीं है । हमें चौबीस घंटे बिजली मिलना चाहिए । यह हमारा मानवाधिकार है । इन्हीं सब बातों को लेकर बिजलीघर में अधिकारी के दफ्तर के सामने प्रदर्शन करना है और अपनी बात जोरदार तरीके से अखबारों में छपवानी भी है । पिछली बार मैंने भाषण तो अच्छा दिया था लेकिन अखबार में फोटो नहीं आई। इस बार पहले से इंतजाम कर रखा है ।” बेचारी बहू ससुर साहब का मुंह देखती रह गई । हे भगवान ! इस घर की तो माया ही अलग है !- वह सोचने लगी ।
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लेखक :रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451