दो चार करने की
***दो चार करने की (ग़ज़ल) ***
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दे दो मंजूरी प्यार करने की,
तुम से आँखे दो चार करने की।
अड़ जाती हैं नावें कदम भरते,
सोचो सागर से पार करने की।
मुश्किल होता पल-पल बिताना भी,
जीवन में सोचो कार करने की।
ख्वाबों की कीमत को जरा समझो,
कोशिश सपने साकार करने की।
मनसीरत ने मांगी इजाज़त सुन,
हर्षित लम्हें भरमार करने की।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)