सबक
दो घंटे से कक्षा कक्ष में
अध्यापन में संलग्न,
अचानक से संलग्नता टूटी
ध्यान छत के पंखे पर गया
जो विद्युत अनापूर्ति से रुक गया ।
आश्चर्य है दो घण्टे में एक भी बार
पंखे पर ध्यान न गया
न ही इस सुविधा के प्रति
मन अनुग्रहीत ही था
जब तक वह शांत, निर्बाध
हवा दे रहा था।
पर उसके रुकते ही उसकी
उपस्थिति व महत्ता का अहसास हुआ ।
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जिन्दगी में भी ऐसे ही
हमें एहसास भी नहीं होता
कि अनायास कितना कुछ प्राप्त है
अहसास होता भी है
तो उसके रुक जाने के बाद
चाहे वो रिश्ते हों, प्रकृति हो
या हम और हमारा शरीर ।