दो गज़ ज़मीन
दो गज़ ज़मीन याँ किसे नसीब होती है
ज़िन्दगी हमेशा मौत के करीब होती है
दफ़न हो जाते है याँ लाशों के ढ़ेर में
ज़िन्दगी सदा याँ गरीब होती है
अक्सर लड़ते देखा है भाइयों को
रिश्तों में किसकी जीत और हार होती है
ज़िन्दगी भर तरस जाते है प्यार के लिए
मरने के बाद अश्रु बहाने वालो की बहार होती है
याँ फरेब,धोखा, दुश्मनी ही यार होती है
चार दिन की ज़िन्दगी दागदार होती है
भूपेंद्र रावत
21।07।2017