दो💔 लफ्जों की💞 स्टोरी
P. A. एक हफ्ते की मोहब्बत का ही असर था जमाने से क्या मैं खुद से बेखबर था शुरू हो गया था फिर इशारों का काम घरों में गूंजता था उनका ही नाम तमन्ना थी बस उनसे बात करने की आग शायद थोड़ी सी उधर भी लगी थी वह उनका रह-रहकर पानी भरने आना नजरें मिलाकर नजरों को झुकाना बेबस था मैं अपनी बातों को लेकर दे दिया दिल उन्हें अपना समझ कर सिलसिला कुछ दिनों यूं ही चलता रहा घर से दुकान तक में फिरता रहा पूरी हुई मुराद उनसे बात हो गई दिल में कहीं छोटी सी आशा जग गई एक हवा के झोंके से सब कुछ बदल गया अचानक से उनका यू रुख बदल गया मांगे क्या उनको जो तकदीर में नहीं थी कुछ नहीं यह बस कुछ वर्षों तथा हफ्तों की दोस्ती ,मोहब्बत थी…..✍️💯😇