दोहे_@
दिनांक- ०२-०१-२०१८
दिन- मंगलवार
#स्वरचित_दोहे
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०१
हुई कुहासा धुंध से,आज नयी पहचान
धीरे-धीरे पग बढ़े,दिखे राह तब जान।।०१।।
०२
तरु अरु घन में छिप गया, दिखे नहीं अब सूर्य।
गिरते भारी तुहिन कण, शीत लहर का तूर्य।।०२।।
०३
शीतल लहरें शीत की, बढ़ती दिखी #प्रताप।
मधुर मालती शिशिर में, रविकर बढ़े न ताप।।०३।।
०४
शीत, शीत में बढ़ रही,शीतल पेय न सार्थ।
गली-गली में ढूंढते,मादक सभी पदार्थ।।०४।।
#प्रताप