दोहे
दोहे-
छल उत्पीड़न बेबसी,दुःख परीक्षा त्रास।
इतना सा है जगत में,नारी का इतिहास।।1
चुपके से वह स्वप्न में ,आ जाती है पास।
नहीं बताती पर कभी,करती कहाँ निवास।।2
एक संक्रमण ने हमें,बना दिया है दीन।
नर-नारी सब हो रहे ,चिरनिद्रा में लीन।।3
कैद रहेंगे गेह में,जब बन सभी प्रबुद्ध।
जीतेंगे केवल तभी ,कोरोना से युद्ध।।4
दूरी रखना देह से, जाना नहीं करीब।
ध्यान रहे सोए नहीं,भूखा कहीं गरीब।।5
कुशल-क्षेम की चाह तो,करो वास एकांत।
निकट न आए रुग्णता ,और न हो देहांत।।6
डाॅ बिपिन पाण्डेय