हास्य दोहे
कविता दिल्ली आ गई, छपी खबर अखबार।
हमने पढ़कर ये खबर, लिख दी फिर दो-चार।।
कविता है मनमोहिनी, बड़ी रसीली नार।
जिसको पाने के लिए, कवियों में तकरार।।
भूषित कविता कामिनी, नव रस का श्रृंगार।
इसके रस में डूब कर, कवि को चढा बुखार।।
रात-रात भर जाग कर, है सब कवि बीमार।
इस कविता के हाथ में, है इनका उपचार।।
जब कविता लेने लगी, काव्य रूप आधार।
फिर कवियों के कान में, बजने लगा सितार।।
-लक्ष्मी सिंह