Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Dec 2018 · 1 min read

दोहे

दोहे
भावों की बिंदिया लगा,कर भाषिक सिंगार।
आई कविता कामिनी,सज धज मन के द्वार।।1

शब्दों के लालित्य की,अधर लालिमा साज।
कविता बन नवयौवना,करती उर पर राज।।2

जब हो कविता पाठ से,ध्वनि माधुर्य निनाद।
लगता पायल कर रही,सरस प्रीति संवाद।।3

आभासित व्यंग्योक्ति हो,जैसे वंकिम दृष्टि।
बेधे पाठक हृदय यों ,करें काव्य की सृष्टि।।4

अनायास हो मुग्ध मन,देख काव्य रसधार।
बल खाती ज्यों नायिका,चले बीच बाज़ार।।5

परिनिष्ठित भाषा अगर,और परिष्कृत भाव।
होता प्रादुर्भूत तब ,कविता के प्रति चाव।।6

शब्द करे जब अर्थ की,हाथ जोड़ मनुहार।
कवि का रचना कर्म तब,हो जाता बेकार।।7
डाॅ बिपिन पाण्डेय

Language: Hindi
264 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अपने ही हाथों
अपने ही हाथों
Dr fauzia Naseem shad
विश्वकप-2023
विश्वकप-2023
World Cup-2023 Top story (विश्वकप-2023, भारत)
दादी की कहानी (कविता)
दादी की कहानी (कविता)
दुष्यन्त 'बाबा'
दोहा त्रयी. . .
दोहा त्रयी. . .
sushil sarna
चेतावनी हिमालय की
चेतावनी हिमालय की
Dr.Pratibha Prakash
दोहे... चापलूस
दोहे... चापलूस
लक्ष्मीकान्त शर्मा 'रुद्र'
।। बुलबुले की भांति हैं ।।
।। बुलबुले की भांति हैं ।।
Aryan Raj
हर सीज़न की
हर सीज़न की
*Author प्रणय प्रभात*
मदद
मदद
Dr. Pradeep Kumar Sharma
काल के काल से - रक्षक हों महाकाल
काल के काल से - रक्षक हों महाकाल
Atul "Krishn"
"सुगर"
Dr. Kishan tandon kranti
गुमनाम ज़िन्दगी
गुमनाम ज़िन्दगी
Santosh Shrivastava
गज़रा
गज़रा
Alok Saxena
प्यारी तितली
प्यारी तितली
Dr Archana Gupta
23/96.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/96.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सपनो का सफर संघर्ष लाता है तभी सफलता का आनंद देता है।
सपनो का सफर संघर्ष लाता है तभी सफलता का आनंद देता है।
पूर्वार्थ
जल से निकली जलपरी
जल से निकली जलपरी
लक्ष्मी सिंह
कविता
कविता
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
बारह ज्योतिर्लिंग
बारह ज्योतिर्लिंग
सत्य कुमार प्रेमी
मिलते तो बहुत है हमे भी चाहने वाले
मिलते तो बहुत है हमे भी चाहने वाले
Kumar lalit
हर पल ये जिंदगी भी कोई खास नहीं होती ।
हर पल ये जिंदगी भी कोई खास नहीं होती ।
Phool gufran
अंग प्रदर्शन करने वाले जितने भी कलाकार है उनके चरित्र का अस्
अंग प्रदर्शन करने वाले जितने भी कलाकार है उनके चरित्र का अस्
Rj Anand Prajapati
आसमान में छाए बादल, हुई दिवस में रात।
आसमान में छाए बादल, हुई दिवस में रात।
डॉ.सीमा अग्रवाल
धुप मे चलने और जलने का मज़ाक की कुछ अलग है क्योंकि छाव देखते
धुप मे चलने और जलने का मज़ाक की कुछ अलग है क्योंकि छाव देखते
Ranjeet kumar patre
पेंशन
पेंशन
Sanjay ' शून्य'
मैं दौड़ता रहा तमाम उम्र
मैं दौड़ता रहा तमाम उम्र
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
रिश्ते सम्भालन् राखियो, रिश्तें काँची डोर समान।
रिश्ते सम्भालन् राखियो, रिश्तें काँची डोर समान।
Anil chobisa
आँखों से गिराकर नहीं आँसू तुम
आँखों से गिराकर नहीं आँसू तुम
gurudeenverma198
मंज़र
मंज़र
अखिलेश 'अखिल'
*खुद ही लकीरें खींच कर, खुद ही मिटाना चाहिए (हिंदी गजल/ गीति
*खुद ही लकीरें खींच कर, खुद ही मिटाना चाहिए (हिंदी गजल/ गीति
Ravi Prakash
Loading...