दोहे
कभी गाय के नाम में,कभी धर्म के नाम ।
नेता साधू दे रहे ,भाँति- भाँति पैग़ाम ।।
राजनीति में है बहुत ,आज ग़ज़ब का स्वाद ।
जिधर देख लो आप भी, फैल रहा उन्माद ।।
आज जानवर बन गए, माता-पिता समान।
इंसानो की भीड़ में , क्यों खोया इंसान ।।
मारे- मारे फिर रहे, कलयुग में इंसान ।
धर्मों का धन्धा बढ़ा,’प्रखर’ देख हैरान ।।
-सत्येन्द्र पटेल’प्रखर’