दोहे–देशभक्ति
1 भारत माँ की है धरा सदा मोक्ष का द्वार,
जन्म लिया जिसने यहाँ भवसागर वो पार।
2 सकल विश्व माँ भारती ऊँचा तेरा नाम,
दिल से मैं हूँ कर रहा बार बार प्रणाम।
3 माता दो को मानता इक माँ एक भारत,
वंदन मैं करता रहूँ मुझको मिले राहत।
4 सबसे पहले देश है दूसर नहीं कोई,
सौ फीसद सच बात है जानिए सब कोई।
5 भारतमाता को नमन करता बारम्बार,
ऋणी हूँ समझ मैं रहा बलि जाऊं सौ बार।
6 जिसमें खेल बडा हुआ बना ये सुंदर तन,
नमन मिट्टी को मैं करूँ वही भारत का धन।
7 बचपन से ये चाह है मातृभूमि वंदन,
सदा फल फूलता रहे पावन यही उपवन।
अशोक छाबङा
28042018