Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Feb 2018 · 1 min read

दोहे

देश बदल गऔ भेष बदल गओ
बदल गई पहचान |
दो अंगुल के कपड़ा पहने भारत
को इंसान ||

गलियन गलियन गईयाँ धूमे,
लोगन रहे भगाय |
मरे विचारी तड़प तड़प के कोई
न उन्हे चराये ||

धोती कुर्ता भूल गये सब,
लगे पहनने टाप |
बेटा कहता है बाबुल से
मे हूँ तेरा बाप ||

लाज शरम को नही ठिकाने,
भूल गये सब लाज |
जींस और नये टाप पहनके
कर आये सब काज ||

छोटे छोटे पहन के कपड़े,
गलियन फिर रहे लोग |
माँस वियर की बाटल धरके,
लग रहे छप्पन भोग ||
कृष्णकांत गुर्जर
धनोरा

Language: Hindi
7 Likes · 519 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
भक्त औ भगवान का ये साथ प्यारा है।
भक्त औ भगवान का ये साथ प्यारा है।
सत्य कुमार प्रेमी
"गाय"
Dr. Kishan tandon kranti
*संवेदना*
*संवेदना*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
कहाॅं तुम पौन हो।
कहाॅं तुम पौन हो।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
मिलन
मिलन
Bodhisatva kastooriya
भरे मन भाव अति पावन, करूँ मैं वंदना शिव की।
भरे मन भाव अति पावन, करूँ मैं वंदना शिव की।
डॉ.सीमा अग्रवाल
.
.
*प्रणय*
*
*"बसंत पंचमी"*
Shashi kala vyas
पवित्रता की प्रतिमूर्ति : सैनिक शिवराज बहादुर सक्सेना*
पवित्रता की प्रतिमूर्ति : सैनिक शिवराज बहादुर सक्सेना*
Ravi Prakash
राष्ट्रशांति
राष्ट्रशांति
Neeraj Agarwal
उत्तम देह
उत्तम देह
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
खत
खत
Punam Pande
मन मोहन हे मुरली मनोहर !
मन मोहन हे मुरली मनोहर !
Saraswati Bajpai
4819.*पूर्णिका*
4819.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सफ़र ज़िंदगी का आसान कीजिए
सफ़र ज़िंदगी का आसान कीजिए
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
प्रदूषण
प्रदूषण
Pushpa Tiwari
चन्द्रमा
चन्द्रमा
Dinesh Kumar Gangwar
मुझे याद🤦 आती है
मुझे याद🤦 आती है
डॉ० रोहित कौशिक
अरे आज महफिलों का वो दौर कहाँ है
अरे आज महफिलों का वो दौर कहाँ है
VINOD CHAUHAN
''आशा' के मुक्तक
''आशा' के मुक्तक"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
"रिश्ता उसी से रखो जो इज्जत और सम्मान दे.,
पूर्वार्थ
बहू और बेटी
बहू और बेटी
Mukesh Kumar Sonkar
समय बीतते तनिक देर नहीं लगता!
समय बीतते तनिक देर नहीं लगता!
Ajit Kumar "Karn"
कभी-कभी ऐसा लगता है
कभी-कभी ऐसा लगता है
Suryakant Dwivedi
हम गुलामी मेरे रसूल की उम्र भर करेंगे।
हम गुलामी मेरे रसूल की उम्र भर करेंगे।
Phool gufran
बिना पंख फैलाये पंछी को दाना नहीं मिलता
बिना पंख फैलाये पंछी को दाना नहीं मिलता
Anil Mishra Prahari
कितनी अजब गजब हैं ज़माने की हसरतें
कितनी अजब गजब हैं ज़माने की हसरतें
Dr. Alpana Suhasini
दिसम्बर की सर्द शाम में
दिसम्बर की सर्द शाम में
Dr fauzia Naseem shad
!! कोई आप सा !!
!! कोई आप सा !!
Chunnu Lal Gupta
ग़ज़ल _ सर को झुका के देख ।
ग़ज़ल _ सर को झुका के देख ।
Neelofar Khan
Loading...