दोहे
दोहे
कृष्ण नाम शुभ नाम है, जो सुमिरै सिधि होय।
जप जप मीरा पार तरि,पार न पाया कोय।
अपनी राहें खुद बनें,करो काम से प्रीत।
लग्न परिश्रम कर्म से, होती हासिल जीत।
जिस तन लागे वो जाने, होता है क्या दर्द।
देख पीर मुख फेरलें,सब उर छायी गर्द।
दुष्ट जन से सुन प्रिये, सदा मिले आघात।
वार सदा ही पीठ पर, देते दिल पर घात।
दिन दुने रात चौगुने,बुरे वतन हालात।
मुफलिसी व गफलत बनी,पीर भरी सौगात।
नीलम शर्मा