दोहे….
दोहा…
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कउन कहै मन के बात, कउन सुनावै तान|
मन कैदी होय गा अब,जब से कीन प्रणाम||
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पूजन अर्चन सब करा, दीन दीया जलाय|
पूरी होयगै पूजा, माँग न पावा आय||
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सालत रही मन मा बात, कुछौ न भा उपाय|
जउन रहा वहू गा सब, दीन कहाँ से आय||
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माटी होयगा सबै, जऊन कीन कमाय|
घर के लुगदी घर रहै, दूसर के न मिलाय||
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तिल-तिल जोड़ा जायके,महल खड़ा तव जाय|
एकै बार मा सब गवा,अब कछु बचा न भाय||
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शालिनी साहू
ऊँचाहार, रायबरेली(उ0प्र0)