Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 May 2024 · 1 min read

ग़ज़ल(गुलाबों से तितली करे प्यार छत पर —)————————–

गुलाबों से तितली करे प्यार छत पर
————————————–

रुकी है हवाओं की रफ्तार छत पर
गुलाबों से तितली करे प्यार छत पर।

अभी तो खिला है ,नया गुल गुलाबी
हवाओं ने छेड़ी ,अभी रार छत पर।

हुआ हाल कैसा हमारा तुम्हारा
बनी बात कैसे ये अखबार छत पर।

महकती हुई ये गली कह रही है
कि दो दिल मिले हैं अरे यार छत पर।

बहकती हुई फिर लगी चाँद राते
हुई जब मुहब्बत की इमतार छत पर।

डॉक्टर रागिनी शर्मा इंदौर

2 Likes · 152 Views

You may also like these posts

श्री राम
श्री राम
Kanchan verma
जिस्म झुलसाती हुई गर्मी में..
जिस्म झुलसाती हुई गर्मी में..
Shweta Soni
दो शब्द सही
दो शब्द सही
Dr fauzia Naseem shad
ये कसूर मेरा है !
ये कसूर मेरा है !
ज्योति
अगर सड़क पर कंकड़ ही कंकड़ हों तो उस पर चला जा सकता है, मगर
अगर सड़क पर कंकड़ ही कंकड़ हों तो उस पर चला जा सकता है, मगर
Lokesh Sharma
"जुलमी सूरज"
Dr. Kishan tandon kranti
🥀✍अज्ञानी की 🥀
🥀✍अज्ञानी की 🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सब कुछ मिट गया
सब कुछ मिट गया
Madhuyanka Raj
मैं उन लोगो में से हूँ
मैं उन लोगो में से हूँ
Dr Manju Saini
यादें
यादें
Dipak Kumar "Girja"
उसे बुला कर देखें कई,मर्तबा
उसे बुला कर देखें कई,मर्तबा
Keshav kishor Kumar
हाइकु
हाइकु
अशोक कुमार ढोरिया
खुद के ताबूत से हीं, खुद को गवां कर गए।
खुद के ताबूत से हीं, खुद को गवां कर गए।
Manisha Manjari
होरी खेलन आयेनहीं नन्दलाल
होरी खेलन आयेनहीं नन्दलाल
Bodhisatva kastooriya
कुरुक्षेत्र की अंतिम ललकार भाग-2
कुरुक्षेत्र की अंतिम ललकार भाग-2
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
उनके दामन से आती है खुश्बू सूकुन की.
उनके दामन से आती है खुश्बू सूकुन की.
Ranjeet kumar patre
*महाकाल के फरसे से मैं, घायल हूॅं पर मरा नहीं (हिंदी गजल)*
*महाकाल के फरसे से मैं, घायल हूॅं पर मरा नहीं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
दोहा- दिशा
दोहा- दिशा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
कृपाण घनाक्षरी....
कृपाण घनाक्षरी....
डॉ.सीमा अग्रवाल
.....*खुदसे जंग लढने लगा हूं*......
.....*खुदसे जंग लढने लगा हूं*......
Naushaba Suriya
टूटा हुआ ख़्वाब हूॅ॑ मैं
टूटा हुआ ख़्वाब हूॅ॑ मैं
VINOD CHAUHAN
ताल-तलैया रिक्त हैं, जलद हीन आसमान,
ताल-तलैया रिक्त हैं, जलद हीन आसमान,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
डॉ0 रामबली मिश्र की रचनाएं
डॉ0 रामबली मिश्र की रचनाएं
Rambali Mishra
😢 कड़वा सच
😢 कड़वा सच
*प्रणय*
ले चल साजन
ले चल साजन
Lekh Raj Chauhan
1857 की क्रान्ति में दलित वीरांगना रणबीरी वाल्मीकि का योगदान / Role of dalit virangana Ranbiri Valmiki in 1857 revolution
1857 की क्रान्ति में दलित वीरांगना रणबीरी वाल्मीकि का योगदान / Role of dalit virangana Ranbiri Valmiki in 1857 revolution
Dr. Narendra Valmiki
मन मुकुर
मन मुकुर
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
मेरी मोमबत्ती तुम।
मेरी मोमबत्ती तुम।
Rj Anand Prajapati
दौर ऐसा हैं
दौर ऐसा हैं
SHAMA PARVEEN
Loading...