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12 May 2024 · 1 min read

दोहे

सूरज की अपनी व्यथा; चंदा की कुछ और।
या दु:खिया संसार में; चैन मिले ना ठौर।।
तारे जलते रात में; किरणें करती भोर।
सबका अपना वक्त है; सबका अपना दौर।।

अनिल कुमार निश्छल
शिवनी
हमीरपुर (बुंदेलखंड)

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