दोहे
सूरज की अपनी व्यथा; चंदा की कुछ और।
या दु:खिया संसार में; चैन मिले ना ठौर।।
तारे जलते रात में; किरणें करती भोर।
सबका अपना वक्त है; सबका अपना दौर।।
अनिल कुमार निश्छल
शिवनी
हमीरपुर (बुंदेलखंड)
सूरज की अपनी व्यथा; चंदा की कुछ और।
या दु:खिया संसार में; चैन मिले ना ठौर।।
तारे जलते रात में; किरणें करती भोर।
सबका अपना वक्त है; सबका अपना दौर।।
अनिल कुमार निश्छल
शिवनी
हमीरपुर (बुंदेलखंड)