ग़ज़ल (चलो आ गयी हूँ मैं तुम को मनाने)
गज़ल
चलो आ गयी हूँ मैं तुम को मनाने
मगर शर्त ये है कि दुनिया न जाने
मेरा दिल हुआ है , तुम्हारे हवाले
तिरे बिन कभी मुस्कुराना न जाने
कहाँ जान पाये वो बातें दिलों की
ग़मे हिज्र में गुनगुनाना न जाने
मुहब्बत कभी की उसी ने थी’ मुझसे
कहाँ खो गया वो दिवाना न जाने
लगे दाग़ सा नाम पर आशिकों के
जो रूठे हुए को मनाना न जाने
डॉक्टर रागिनी
शर्मा
इंदौर