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29 Dec 2023 · 1 min read

दोहे

दोहे
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मस्ती बचपन में बहुत , करते थे दिन रात।
यादें बाकी रह गई,शिथिल हुआ अब गात।।

यादें बाकी रह गई, बुझी न मन की प्यास।
साथ छोड़ कर चल दिये , जो थे अपने खास।।

यादें बाकी रह गई,वक्त गया अब बीत।
बेगाने सब हो गए, कहाँ रही वो प्रीत।।

यादें बाकी रह गई, गुजर गया है साल।
खुशियों की सब आस में,ठोक रहे हैं ताल।।
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अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

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