दोहे-
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दोहे-
जिनके तन पट रेशमी ,पड़े गले में हार।
अंत काल जग से गए,वे भी बदन उघार।।1
चाहे जितना जोड़ लो,लगे न कुछ भी हाथ।
बस कर्मों की पोटली ,जाती सबके साथ।।2
डाॅ बिपिन पाण्डेय
दोहे-
जिनके तन पट रेशमी ,पड़े गले में हार।
अंत काल जग से गए,वे भी बदन उघार।।1
चाहे जितना जोड़ लो,लगे न कुछ भी हाथ।
बस कर्मों की पोटली ,जाती सबके साथ।।2
डाॅ बिपिन पाण्डेय