दोहे
बिन स्वारथ माता-पिता, स्वारथ का संसार।
एक बार गलती हुई, भूले नेकाचार।।
जीवन ऐसा कर लिया, ज्यों नेकी दीवार।
जिसको आना आइये, जाए सौ-सौ बार।।
©दुष्यन्त ‘बाबा’
बिन स्वारथ माता-पिता, स्वारथ का संसार।
एक बार गलती हुई, भूले नेकाचार।।
जीवन ऐसा कर लिया, ज्यों नेकी दीवार।
जिसको आना आइये, जाए सौ-सौ बार।।
©दुष्यन्त ‘बाबा’