Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 May 2023 · 1 min read

दोहे

जिसको अपने आप पर होता है विश्वास।
उसको कुुुछ दुर्गम नहीं ,सब कुछ उसके पास।।

वन्दनीय माँ भारती ,वन्दनीय शुचि देश ।
जिसकी गोदी खेलकर , हमसब हुए विशेष ।।

प्रिय के स्वर ने कर दिए , झंकृत मन के तार ।
प्यार-प्यार ही गूँजता , मन में बारम्बार ।।
एक तरफ सम्वेदना , दूजी तरफ न चाह ।
ऐसे में कैसे भला, रिश्तों का निर्वाह ।।

महल सो रहे बेखबर , वर्षा मूसलधार ।
कांप कांप कर झोपड़ी , सहती भीषण मार ।।
सतीश पाण्डेय

124 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सतीश पाण्डेय
View all
You may also like:
रोजाना आने लगे , बादल अब घनघोर (कुंडलिया)
रोजाना आने लगे , बादल अब घनघोर (कुंडलिया)
Ravi Prakash
आजादी की शाम ना होने देंगे
आजादी की शाम ना होने देंगे
Ram Krishan Rastogi
पिता
पिता
Sanjay ' शून्य'
*कभी  प्यार में  कोई तिजारत ना हो*
*कभी प्यार में कोई तिजारत ना हो*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
वसुधा में होगी जब हरियाली।
वसुधा में होगी जब हरियाली।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
चांद को तो गुरूर होगा ही
चांद को तो गुरूर होगा ही
Manoj Mahato
अंधेरों में अंधकार से ही रहा वास्ता...
अंधेरों में अंधकार से ही रहा वास्ता...
कवि दीपक बवेजा
सच ही सच
सच ही सच
Neeraj Agarwal
बादल
बादल
लक्ष्मी सिंह
उसे गवा दिया है
उसे गवा दिया है
Awneesh kumar
ये रात पहली जैसी नहीं
ये रात पहली जैसी नहीं
Befikr Lafz
तुम्हारी आँख से जब आँख मिलती है मेरी जाना,
तुम्हारी आँख से जब आँख मिलती है मेरी जाना,
SURYA PRAKASH SHARMA
#शेर
#शेर
*प्रणय प्रभात*
वज़्न ---221 1221 1221 122 बह्र- बहरे हज़ज मुसम्मन अख़रब मक़्फूफ़ मक़्फूफ़ मुखंन्नक सालिम अर्कान-मफ़ऊल मुफ़ाईलु मुफ़ाईलु फ़ऊलुन
वज़्न ---221 1221 1221 122 बह्र- बहरे हज़ज मुसम्मन अख़रब मक़्फूफ़ मक़्फूफ़ मुखंन्नक सालिम अर्कान-मफ़ऊल मुफ़ाईलु मुफ़ाईलु फ़ऊलुन
Neelam Sharma
तिरस्कार,घृणा,उपहास और राजनीति से प्रेरित कविता लिखने से अपन
तिरस्कार,घृणा,उपहास और राजनीति से प्रेरित कविता लिखने से अपन
DrLakshman Jha Parimal
अमृत वचन
अमृत वचन
Dinesh Kumar Gangwar
ले आओ बरसात
ले आओ बरसात
संतोष बरमैया जय
"ये कविता ही है"
Dr. Kishan tandon kranti
अगहन कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के
अगहन कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के
Shashi kala vyas
2492.पूर्णिका
2492.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
हो हमारी या तुम्हारी चल रही है जिंदगी
हो हमारी या तुम्हारी चल रही है जिंदगी
सत्य कुमार प्रेमी
19--🌸उदासीनता 🌸
19--🌸उदासीनता 🌸
Mahima shukla
भोर समय में
भोर समय में
surenderpal vaidya
मां नर्मदा प्रकटोत्सव
मां नर्मदा प्रकटोत्सव
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
कोई वजह अब बना लो सनम तुम... फिर से मेरे करीब आ जाने को..!!
कोई वजह अब बना लो सनम तुम... फिर से मेरे करीब आ जाने को..!!
Ravi Betulwala
मंज़िल का पता है न ज़माने की खबर है।
मंज़िल का पता है न ज़माने की खबर है।
Phool gufran
आना भी तय होता है,जाना भी तय होता है
आना भी तय होता है,जाना भी तय होता है
Shweta Soni
भोले नाथ है हमारे,
भोले नाथ है हमारे,
manjula chauhan
मोहब्बत
मोहब्बत
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
Loading...