दोहे
दोहे
प्रातः उठकर टहलिए और करो व्यायाम।
इसमें थोड़ा जोड़िए, योगा प्राणायाम।
कभी किसी पर मत हॅंसो, हंसिए सबके साथ।
जज़्बा रखिए जीत का, मत दो शह औ’र मात।
झूठ बहुत मीठा लगे, फिर भी कहां पसंद।
सच है कड़वा बहुत पर, देता है आनंद।
जीवन में ऐसा करो, सबके साथ प्रयास।
खुशियों में हो या न हो, गम में रहिए साथ।
सबकुछ संभव प्रेम से, बन जाते सब काम।
वशीभूत हो प्रेम के, सखा बने धनश्याम।
बेशक हम सब हैं खुशी, मानव जीवन पाय।
अब कुछ ऐसे कर्म हों, जन्म सफल हुइ जाय।
यही कामना सब करें, जब तक जीवन प्राण।
सभी सुखी हों और हो, सबका ही कल्याण।
जीवन की दुश्वारियों, का हो जाए अंत।
जीवन में आते रहें, खुशियों भरे बसंत।
हॅंसी-खुशी कायम रहे, रहे न कोई जंग।
जीवन में प्रभु जी भरें,खुशियों के सब रंग।
काम- क्रोध, मद- लोभ में, डूब रहा संसार।
शुद्ध सरल जीवन सदा, खुशियों का भंडार।
पर हित सर्वोपरि रखो, बिना लालशा कर्म।
रामचरित मानस कहे, गीता का यह मर्म।
सादर वंदन और नमन, हे प्रभु दीनानाथ।
सुख दुख के इस चक्र में, हरदम रहना साथ।
हर दिन फूलों सा खिले, रहे सुहानी शाम।
सुंदर स्वप्निल रात हो, मन हो चारो धाम।
…….✍️ सत्य कुमार प्रेमी