दोहे-
दोहे-
आशंका रहती नहीं,मन में उनके स्वल्प।
जो बढ़ते हैं लक्ष्य हित,ले करके संकल्प।।1
मंजिल पाने के लिए,जो पथ चुने पवित्र।
दागदार होता नहीं ,उसका कभी चरित्र।।2
दुनियादारी छोड़ जो,रखे लक्ष्य पर ध्यान।
कर पाता है लक्ष्य का,बस वह ही संधान।।3
डाॅ बिपिन पाण्डेय