दोहे
दोहा
दुखियारे घर घर बसे,कोउ न देखन जाय ।
देखन उनको जाये जो ,कोटिक आशिष पाय ॥
देख जगत की नीति मैं ,खडी -खडी बौराउँ।
हेरफेर की रीति में , कैसे प्रीति निभाउँ ॥
खड़ी बीच बाजार मैं, माँगू सबकी खैर ,
सब अपनी झोली भरे , छोड़े न हेरफेर॥
दोहा
दुखियारे घर घर बसे,कोउ न देखन जाय ।
देखन उनको जाये जो ,कोटिक आशिष पाय ॥
देख जगत की नीति मैं ,खडी -खडी बौराउँ।
हेरफेर की रीति में , कैसे प्रीति निभाउँ ॥
खड़ी बीच बाजार मैं, माँगू सबकी खैर ,
सब अपनी झोली भरे , छोड़े न हेरफेर॥