दोहे
??दोहे??
राम चले बनवास को,लिए धनुष को हाथ।
जो घर छोड़ा आपनो,चली सिया भी साथ।।
वन-वन भटकी मां सिया, राम लखन के साथ।
दुर्गम राहों पर चली, पकड़ राम का हाथ।
हरण किए रावण सिया,चल लंका की और।
सुध-बुध अपनी खोय है,देखत लंका छोर।।
राम -नाम का जाप कर,सीता करे विलाप।
आवोगे कब राम तुम,होय अपना मिलाप।।
सुषमा सिंह *उर्मि,,