दोहे
पसंद अपनी अपनी
दोहा विधा में एक प्रयास समीक्षारथ:
अँधियारे में हैं फँसे , सारे हम इंसान
सूरज अपने ज्ञान का, चमका दो भगवान.
पाँच विकारों से घिरे , कैसे जायें छूट
पल पल जो तड़पा रहे , खूब हुई है फूट।
रहें खुशी में झूमते , करते प्रभु को याद
बन जाते हैं काम सब, करें नहीं फ़रियाद।
सदगति सागर ज्ञान का, तुम ही हो प्रभु राम
ज्ञान सागर सदगति दाता, एक बाप ही राम
सुलझायो आकर सभी, बिगड़ गये जो काम।
पालनकर्ता हैं वही, हमें मिलें जो राम
पूर्ण करें सब कर्म तो, मिलता है आराम।
सूक्षम लता महाजन