दोहे
दशहरा पर दोहे
वर्तमान रोता बिलख,फैला भ्रष्टाचार।
रावण हर घर में बसा,राम करो उद्धार।।
मायावी मारीच सम,लोभ बना सिर मोर।
दया, द्वेष, अन्याय, छल,क्रोध,कपट अति घोर।।
दशमी का ये पर्व है,अहंकार पर जीत।
रावण का पुतला जला, करो न्याय से प्रीत।।
डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी (उ. प्र.)