दोहे
श्याम बसा है तन मन में, नैनन में है प्रेम।
राधा -राधा पुकारत, कहाँ खोजें हम प्रेम।।
न मीरा मिली न राधा, प्रेम कहाँ अब होय।
निंदिया नहीं नैनन को, कब जागे कब सोय।।
श्याम बसा है तन मन में, नैनन में है प्रेम।
राधा -राधा पुकारत, कहाँ खोजें हम प्रेम।।
न मीरा मिली न राधा, प्रेम कहाँ अब होय।
निंदिया नहीं नैनन को, कब जागे कब सोय।।