दोहे
हम सबकी रक्षा करो,नीलकंठ भगवान ।
सर्प डस रहे दांत से ,बातों से इंसान।।
धरती पर बढ़ने लगा, विषधारी का राज।
मानव ही डसने लगा ,मानवता को आज ।।
आस्तीन में पल रहा ,सर्वाहारी आज ।
मानुष मयूर नेवला ,गिद्द चील औ बाज।।
नागवंशजों की रखें ,चित्रगुप्तजी लाज।
मानवता लज्जित न हो,मानव करें सुकाज।।
✍?श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव