दोहे
1-नित नैनों से हो रही यादों की बरसात
दिन प्रतीत होता सदा ज्यों अंधियारी रात
2-काले बादल बिरह के, गए हृदय पर छाय
ग़म का कीड़ा आज कल काट- काट मोहिं खाय
1-नित नैनों से हो रही यादों की बरसात
दिन प्रतीत होता सदा ज्यों अंधियारी रात
2-काले बादल बिरह के, गए हृदय पर छाय
ग़म का कीड़ा आज कल काट- काट मोहिं खाय