दोहे
जो मानस कोशिश करत, वह सफल होय जाय।
जो तकते बस भाग को, जूठन पात व खाय।।
*
वचन ना बोलो मुह से, जो घात करी जाय।
चोट को तो घाव भरे, वचन घाव न पटाय।।
जो मानस कोशिश करत, वह सफल होय जाय।
जो तकते बस भाग को, जूठन पात व खाय।।
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वचन ना बोलो मुह से, जो घात करी जाय।
चोट को तो घाव भरे, वचन घाव न पटाय।।