$दोहे- सुबह की सैर पर
#दोहे- सुबह की सैर पर
उषाकाल की सैर में, है आनंद अपार।
रोग दोष सब दूर हों, खुलें स्वर्ग के द्वार।।
शीतल पावन पवन से, सुरभियुक्त उद्गार।
मन हो ऊर्जावान तो, कार्य सभी साकार।।
उषाकाल के दृश्य में, सुख वैभव का सार।
लूट सको तो लूट लो, जीवन के दिन चार।।
चिंतन लेता जीत सब, जितना हो आनंद।
उषाकाल की सैर में, कविता का हर छंद।।
सुबह नींद के वश हो, खोते जीवन नूर।
जल्दी उठना सीखिए, ख़ुशी मिले भरपूर।।
नशा नाश का मूल है, छोड़ो इसे तुरंत।
आलस में जीवन भरे, सपनों का कर अंत।।
उषाकाल का मीत बन, जीवन कर अभिराम।
दूरी इससे जो रही, धूमिल आठों याम।।
#आर.एस.”प्रीतम”
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