दोहे – शीर्षक : समय
दोहे (समय)
कर मन सच्ची साधना , जीवन है उपहार ।
गँवा मनुज मत व्यर्थ ही , मिले न बारंबार ।।
मानव सच यह जान ले , समय बड़ा अनमोल ।
घड़ी घड़ी है बीतता , चले न टाल मटोल ।।
गति समय की नहीं रुके , चलती अपनी चाल ।
संग अगर उसके चलो , रखे सदा खुशहाल ।।
साथ समय के जो चले , साधे सभी निशान ।
सफल सदा ही वो रहे , हुआ जिसे यह ज्ञान ।।
समय बड़ा बलवान है , देता सभी जवाब ।
भले बुरे सब कर्म का , करता यही हिसाब ।।
समय एक है औषधी , भरता गहरे घाव ।
बड़े वेग से भागता , बिना दिखाये ताव ।।
जो नियमों को मानते , रहे समय अनुकूल ।
करते यदि अवमानना , हो जाता प्रतिकूल ।।
डाॅ रीता सिंह
चन्दौसी सम्भल